मौसम...
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वुज़ुद है मेरा
मौसमों से ,
कभी भी
ख़त्म ना होने वाले मौसम,
ख़ुद को दोहराते हुए
यादों को दोहराने वाले
मौसम,,,
बेजान डालियाँ
सफ़ेद बर्फ़
नीला आसमा
सूरज की चमक
लाल पत्ते
हवाओं का चलना
हरी घास
और दरिया का बहना
ये सेहर कर देने वाले मौसम
हो जाते हैं सबब
लुत्फ़ ओ मसर्रत के मुझ को
यादें खिंची चली आती है
मेरी रूह पर
उनकी गहराइयों में
घोलता हूँ ख़ुद को मैं,,,
मेरे ही मौसम
बना डालते हैं मुझे
कभी बदमस्त
कभी दीवाना
कभी खब्ती..
छोड़ देते हैं लाकर
मुझे एक फाँस में...
उल्टा चलने लगती है घड़ियाँ
फिर से बदल जाते हैं मौसम,
कैसे अदल बदल कर पाए कोई
यादों और लम्हों को,,,
करके तस्लीम
हर मौसम को
करते हुए दुआ सलाम
गुज़रते लम्हों से
लेता हूँ मैं साँस
अफ़्सुर्दा बेदिल सर्द हवा में
और छोड़ता हूँ
साँसों से गर्म बादलों को,,,
ख़ुशगवार होते हैं मौसम
ग़मज़दा होते है मौसम
निहायत ख़ूबसूरत होते हैं मौसम
पागल दीवाने होते हैं मौसम,
वुज़ुद है मेरा
मौसमों से ,
कभी भी ख़त्म ना होने वाले मौसम,
ख़ुद को दोहराते हुए
यादों को दोहराने वाले मौसम,,,
मसर्रत=आनंद, अफ़्सुर्दा=उदास, सेहर=वशीकरण/मोहित
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