Thursday, 27 May 2021

महामारी स्वच्छता दिवस पर....: विजया



माहवारी स्वच्छता दिवस पर...

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शर्म और चुप्पी का विषय है 

आज भी 

आधी आबादी को कभी भी 

नहीं माना था ना 

एक अहम हिस्सा इंसानियत का....


सिर उठा कर आज 

होने लगी है बात जब 

Wa S H की 

जल (water)

स्वच्छता (sanitation)

आरोग्यता (hygine) या 

हाथ धोने (Hand Wash) की,

तो आई है चेतना कुछ हद तक....


महामारी के शोर बाजों को 

क्या आई थी याद कभी 

स्त्री पर समाज के थोपे कलंक 

जो है निहायत प्राकृतिक 

समय चक्र माहवारी की

जिसके चलते है प्रजनन 

संसार का जीवन 

उस सार्वभौमिक सत्य की पारी की...


भूल गए हैं सब पल में 

Toilet क्रांति को 

भूल गए हैं क्षण में सारे 

Kitchen क्रांति को 

भूल गए हैं पलक झपकते ही 

'छत' (पक्के घर) की क्रांति को...


चलना आरम्भ हुआ 

और भी गति पानी है,

किंतु राजनीति के गिद्धों के लिए 

सब कुछ तो अनजानी है 

विरोध के एक सूत्री कार्यक्रम को  छोड़ 

साथ दो उस नेतृत्व का 

जिसने पहली दफ़ा 

सुध ली है आधी आबादी की

और आज महमारी से लड़ने की ठानी है...

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