सावन की सुरंगी बहार,,,
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आई सावन की सुरंगी बहार
पपीहा बोले वाणी रसदार
अपने ही बस में मैं नहीं आज
मस्त है तीज का त्योहार
करूँ मैं चिरौरी मनुहार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
काश होती मैं तौ संग सजना
घर में आज तिहरे
किंतु जाना परै आज मोहे
माइके अकेरे अकेरे
कंटक सम है सूनी सेजवा
विनती करूँ मैं बारम्बार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
वादे तोहार झूठे हैं बिल्कुल
ज्यों पानी पे खिंची लकीर
देखो हार गया है दुशासन
ज़िद्दी और बलबीर
घड़ी जुदाई की हो गयी
जैसे द्रोपदी का चीरवा
करूँ मैं चिरौरी मनुहार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
आया उमड़ घुमड़ रे बालम
जोबन तेज ज्वार
मोल नहीं पानी के जैसे
बह गया मुआ थक हार
छलनी जैसा बिंधा करेजवा
बिनती करूँ मैं बारम्बार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
ओ नासमझ नादान रे माली
सींच ना तू फुलवारी को
प्यासी कैसे खिले रे कोंपल
समझो मेरी दुश्वारी को
जंगल झाड़ उग आए खर पतरवा
करूँ मैं चिरौरी मनुहार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
बागों में पका अंगूर
बुलाए दाख.. तू भोग कर ले
कौवे को लगा कंठ-रोग
बोलो तो कोई क्या कर ले
पक पक गिरते सगरे फलवा
बिनती करूँ मैं बारम्बार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
समुदर गहरा हो या फिर
कोई बहती सी नादिया हो
करूँ छिछले पानी कर्म भोग
जैसे कोई मीन दुखिया हो
नहीं मिलता कोई किनरवा
करूँ मैं चिरौरी मनुहार
सजना मोरे आन मिलो ना,,,
बेताब हुई तेरी यादों में
पहना मैंने हार शूलों का
देखो मैंने अपने हाथों में
रचाया रंग पीर फूलों का
आ लगा ले मुझको गरवा
बिनती करूँ मैं बारम्बार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
उठी मेरे हिये हूक
गयी जो कल बगिया में
नाचे मोर रिझाने मोरनी
बरसी आँखें बिरहन रतियाँ में
चोरनी सी छुपाऊँ बलमवा
आई हिचकी मौहे बेशुमार
सजना मोरे ! आन मिलो ना,,,
कल देखा मैं ने, मेरे जोड़ीदार !
सहेली संग प्रीतम झूले
चुभने लगी काँटों जैसी सैज
नींद कैसे आए अकेले
कड़के बिजुरी गरजे बदरवा
लेती रही करवट मैं लगातार
सजना मोरे ! आन मिलो ना...
घुड़सवार !
क्यों कसे ना अपना जीन
मुझ बाँकी बछेरी पर
ले हिलोरे तन मन झूलाय
चला आ ना मेरी देहरी पर
गाऊँ कजरी बुलाऊँ मितवा
दुआर मेरे सजी रे बंदरबार
सजना मोरे ! आन मिलो ना...
भेजे तू नए साज सिंगार
माह दर रोकड़ें हज़ार
जागे बिन साजन जोबन के दोष
बात को समझ हुशियार
लकड़ी गीली सघन है जंगलवा
फिर भी जलूँ जैसे अगन अम्बार
सजना मोरे आन मिलो ना..
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