शल्य चिकित्सा...
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बहता है 'गहरा लाल' रक्त
भग्न हृदय से
जो है तनावग्रस्त
मौन क्रूरता के 'जामुनी' भय से ,
बींधा है जिसे
अपनी ही सोचों के
'नीले नीले' काँटों ने
जिन्हें कह देते हैं हम शिरायें,
दृष्टांत और दृश्य चहुं ओर के
जगा देते हैं कुत्सित भाव
भरते हुए ईर्ष्या का 'गहरा हरा' रंग आँखों में,
मचा देता है उत्पात ऐसे में
कपोलों का 'गुलाबी' रंग
फैल कर 'बेरंग' देह में,
हो जाता है सब कुछ बदरंग
गिरगिटी स्वार्थपरता से
करना होता है निदान और निर्णय
आत्मा के मवाद भरे
लाल-सफ़ेद घाव की
शल्य चिकित्सा का....
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