vinod's feels and words
Sunday 30 September 2018
क़लम का इनकार....
कलम कभी कभी
कर देती है इंकार
लिखने को
जुबाँ भी ना जाने क्यों
हिचकिचा जाती है
कहने को,
बोला अबोला सब
खड़ा हो जाता है
कुछ ऐसा
गूँजरित मौन स्वर स्पंदन,
है तत्पर अश्रु
बहने को,,,,
😊
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