vinod's feels and words
Sunday, 22 March 2015
ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
# # # #
थी ख्वाहिशे के
बुलबुल
लेकर आये
बुशारत कोई,
वो मेरा
बुग्ज़ था के
बुहरान,
लगने लगा था
बुहतान
जो कुछ
गुनगुना दिया
उसने..
(बुशारत=शुभ समाचार, बुग्ज़=द्वेष, बुहरान=बीमारी में होने वाले आकस्मिक परिवर्तन, बु्हतान=आरोप.)
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