Tuesday 5 August 2014

तन्हाई की ये रात (नायेदाजी)

तन्हाई की ये रात 
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तस्वीरें कितनी बना ली मैंने ही 
तसव्वुर के ताज़ा रंगों से.
तक्विम से निकल
तखल्लुस बन गए सब मौसम मिरे
तग्ज्जुल मिरा कभी रोता है 
तवस्सुम कभी दिखाता है,
तद्वीन मिरी नज़्मों की कौन करे ,
तअम्मुल से कौन उबारे मुझ को.
तगाफुल आशना तुम ना हो, मालूम मुझे
तड़फ का आलम कुछ ऐसा,मैं क्या करूँ ?

तजम्मुल मिरी जिंदगी के तुम, 
तजस्सुस मिरी हर इक के पुख्ता जवाब हो.
तजल्लीरेज़ मिरी दुनिया के हो,
तदब्बुर पे तिरी नाज़ मुझको 
तज्लील मिरी का शिकवा फजूल है,
तज्किया मिरा है तेरे दीदार से.
तग'इर मिरे को मत देख
तुझ को नज़र मिरी लग जाएगी.
तुझ बिन तुझे सोच कर खुश हूँ में
तन्हाई की रातें यूँही चली जाएगी.

मायने :

तसव्वुर=कल्पना

तक्विम=पंचांग/कैलेंडर

तखल्लुस=पेन-नेम

तग्ज्जुल=काव्य-लेखन

तबस्सुम =मुस्कान

तद्वीन=संपादन/एडिटिंग

तअम्मुल =भ्रम

तगाफुल आशना=उपेक्षा करने वाला दोस्त .

तजम्मुल=शान शौकत

तजस्सुस=जिज्ञासाओं

तजल्लीरेज़=one who radiates light

तदब्बुर=दूरदर्शिता

तज्लील=तौहीन/अपमान/तिरस्कार

तज्किया=शुद्ध होना

तग'इर=परिवर्तन

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