Tuesday 5 August 2014

आलीजा लौट आये....... (नायेदाजी)

आलीजा लौट आये....... 
(यह गीत राजस्थानी लोकगीत 'चिरमी' की तर्ज़ पर है..हिंदी फिल्म में भी इस धुन का इस्तेमाल हुआ है..अभी खयाल नहीं आ रहा...भाषा में थोडा राजस्थानी, बृज और भोजपुरी का स्पर्श है..आशा है इस लोकगीत के माफिक पेशकश को आप एन्जॉय करेंगे)
# # #

सावन दिवस उजास को
बिन बादल हुई बरसात
सजन जी लौट आये....

भींग गयो मौरो अंतर-मन
भींग गयो मौरो गात
पीव जी लौट आये..........

दूर गयो तो का हुआ
आपनो चाँद कुमुदनी सो साथ
बलम जी लौट आये.

दूर देश की जात्रा
अपणी माटी का जज्बात
आलीजा लौट आये........

पियास बुझी दो अंखियन की
भई आज मौरे दिल की बात
पिया जी लौट आये...........

जड़-तना था सुख़ गया
पीरे हुए थे सब पात
मारू जी लौट आये..........

हरियो हुयो मन..तन खिल उठ्यो
आज रोशन भयो प्रभात
प्रीतम जी लौट आये.........

रूठ गयी मुख ना बोली
पिघली..ज्योंही धरयो मेरो हाथ
सजन जी लौट आये...........

तोहरे बिना मौरो किछु नहीं
मौरी सखियाँ मोतियन की पांत
भंवर सा लौट आये.........

ना वोह जीते..ना मैं हार गयी
इसमें नहीं है शह और मात
आलीजा लौट आये.......

No comments:

Post a Comment