Tuesday 5 August 2014

टूट जाये न माला कहीं प्रेम की : (नायेदाजी)

टूट जाये न माला कहीं प्रेम की 
अंकित ने इस गीत/भजन को अपने बचपन में सुना था और उनके अधरों पर रहता है अकसर यह गीत.
इसका मुखड़ा और पहिले दो अंतरे वो ही हैं जो वे गाया करते हैं, बाद के तीन अंतरों को जोड़ने की कोशिश मैंने की है. मिलावट लाख कोशिश कर के भी 'ओरिजनल' के मुआफिक नहीं हो पायी है, मगर कोशिश दिल से की गयी है. हलकी मस्ती में 'कवाल्ली स्टाईल' में गाया जाये तो बहुत अच्छा लगेगा यह सीधा-साधा सा नग्मा.---- नायेदा.

टूट जाये न माला.....
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टूट जाये न माला कहीं प्रेम की !
वरना अनमोल मोती बिखर जायेंगे !!

मानो ना मानो ख़ुशी आपकी.
दो दिन के मुसाफिर बिछड़ जायेंगे. !! टूट जाये.....!!

यह न पूछो के हम से किधर जाओगे.
वो जिधर भेज देगा उधर जायेंगे. !!टूट जाये...!!

मिल लो सभी को लगा के गले.
कुछ अभी.. तो..कुछ उस.. पहर जायेंगे !!टूट जाये...!!

आपस में है राजी... और खुश हम यहाँ.
मत ना सोचो...शेखो बरहमन किधर जायेंगे. !!टूट जाये...!!

जिंदगी जो मिली है तो जी लो सनम.
घुट घुट के रहेंगे तो म़र जायेंगे. !!टूट जाये...!!

3 comments:

  1. I don't know how but my grandmother always sing these lines and I always wonder from where she got these lines but her lines are little bit different:
    टूट जाये ना माला कहीं प्रेम का,
    कीमती रतन यें बिखर जायँगे।
    मानो ना मानो खुसी आपकी,
    हम मुसाफिर है कल को निकल जायँगे।
    ये ना पूछो की मर कर किधर जायँगे,
    जिधर भेज देंगे उधर जायँगे।

    I always love these lines and always sing with my grandmother till today.

    Thank you.

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