vinod's feels and words

Friday, 12 February 2021

मैं बेपरवाह....

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मैं बेपरवाह... ###### अल्लाह हू अल्लाह हू अल्लाह हू अल्लाह हूँ  अल्लाह हूँ अल्लाह हू... कश्मकश उलझने, उलझने कश्मकश  उम्मीद का दीया ही ,देता ...

पात्र...

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 पात्र... #### फूलों का नही शूलों का ही था  पात्र मैं, स्वीकार हुए  मुझे तभी सहर्ष  उपहार नुकीले  काँटों के, रखी नहीं थी मैं ने  अपेक्षा कभी...

कहे बिन....: विजया

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  कहे बिन... +++++ बहुत सहा  अब सहा न जाता कहे बिन  अब रहा न जाता... पौर पौर में  दर्द समाया  मन पर भी  पीड़ा का साया  नदिया मैली  अब बहा न ...
Tuesday, 19 January 2021

हाइकु नैसाखिए के...

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हाइकु नौसखिये के,,,, ########### १) कैसा घमंड  एकाकी है पतंग  कटती रही... २) हारा संसार  अपना ही प्रचार  झूठे बहाने... ३) जीवन भर  संबध का ब...

कहाँ खड़े हैं हम...,: विजया

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कहाँ खड़े हैं हम आज ? +++++++++++++ देखा करते थे  हम भी सपने सुहाने, होकर लहरे  तलाशते अपनाते  हर मौक़े को  पहुँचने किनारों के पास, पहुँच कर...

प्रेम कर पतंग बस चाहती है प्रेम...

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  प्रेम की पतंग बस चाहती है प्रेम... ######## प्रेम की पतंग का  कौन हिस्सा तेरा  कौन सा मेरा  मालूम नहीं.... डोर कौन है  हाथ किसके है मालूम ...
Monday, 21 December 2020

सहस्रार...

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  सहस्रार,,, ##### पाने को  कहते हैं संसार  खो देना सब कुछ  कहलाता  सहस्रार, है उन्मत्तता  परमानंद  नहीं होता जिसका  कोई आकार,,, ना चाहूँ मै...
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Vinod Singhi
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