vinod's feels and words

Monday, 22 July 2019

विदाई,,,,,

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विदाई,,,, ##### कहाँ हो पाता है विदा पूरी तरह कोई सत्य है या भ्रम एक असमंजस ही तो है विदाई,,, शाश्वत सत्य  है मिलना,बिछुड़ना फिर ...
Tuesday, 16 July 2019

ये दर्द मेरा लज़्ज़ते अरमान हो गया,,,,,

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ये दर्द मेरा लज़्ज़ते अरमान हो गया,,,, ############# अपना ही अक्स आईने में अनजान हो गया खुद के ही घर में यारों मैं मेहमान हो गया,,, ...

कोंपल दर्द की,,,,,,: विजया

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कोंपल दर्द की.... ++++++++ नहीं भरता है वक़्त घावों को, ढाँप देता है बस उन्हें एक लम्बी सी चादर से देने को भुलावा चोट के बिसर जाने ...
Monday, 1 July 2019

ना जैय्यो कोई क़रीब : विजया

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ना जईय्यो कोई क़रीब ! +++++++++++++ चमचमाती नज़रें तवस्सुम ललचाती सी कहकहे हैं शैतानी मनसूबे बेहद घिनौने एक निगाह खोटी छीन ले जो ब...

हर मौसम बाग़ में हमारे : विजया

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हर मौसम बाग़ में हमारे... +++++++++++ उग आए हैं बीज जो निहाँ थे राज होकर गहराई में तुम्हारी, है लबों पर मुस्कान तुम्हारे उदासी हैं म...
Friday, 21 June 2019

तरह तरह के चेहरे,,,,,,,

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तरह तरह के चेहरे,,, ############ लिखा है मेरी क़िस्मत में देखूँ मैं असली चेहरे चलता हूँ साथ लेकर तरह तरह के कई चेहरे,,,, एपिसोड -१...

स्क्रीन...

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स्क्रीन,,,,, ##### मैं, स्क्रीन मल्टीप्लेक्स का, कर लेता हूँ तस्लीम जस का तस हर रंग, किरदार और कहानी को, रहता हूँ मगर सफ़ीद ओ सुकूनज...
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Vinod Singhi
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