vinod's feels and words

Friday, 24 May 2019

फिर कैसे होते थे : विजया

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थीम सृजन : जाने कहाँ गये वो दिन *************************** फिर कैसे होते थे.... +++++++++ पूछती थी जब जब मैं पढ़ लेते हो ना तुम लोगो...
Thursday, 23 May 2019

नहीं जानना है यह ज़रूरी : विजया

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नहीं जानना है यह ज़रूरी.... +++++++++++++ यह उन दिनों में से एक था जब कुछ भी मायने नहीं रखा करता सिवा तुम्हारे और मेरे.… टहल रहे थे ...

कोरे कोरे सफ़ेद सफ़्हे,,,,,

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थीम सृजन : हार और जीत/जाने कहाँ गये वो दिन =================== कोरे कोरे सफ़ेद सफ़्हे,,,, ############ शुरू किया था जिन दिनों सफ़रे ...
Tuesday, 14 May 2019

विनम्र सीखें प्रकृति की : विजया

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विनम्र सीखें प्रकृति की...... +++++++++++ टहलते हुए समुद्र तट पर झुनझुनी झागदार लहराती हुई उत्ताल लहरें खाती है हिलोरे देर तक पेरे प...

तुम्हारे हाथ का प्याला : विजया

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तुम्हारे हाथ का प्याला... +++++++++++++ चाहती हूँ मे प्रेम पाना पल प्रति पल चाहती हूँ मैं नित्य पीना तुम्हारे हाथ के प्याले से... ...
Wednesday, 8 May 2019

होती है हर किसी की एक कहानी : विजया

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होती है हर किसी की एक कहानी.... +++++++++++++++++ होती है हर किसी की एक कहानी, एक ज़िंदगी : गुलज़ार है, एक ज़िंदगी : दुलराती है जो प...
Saturday, 4 May 2019

जब होते हो तुम उदास : विजया

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थीम सृजन : रिश्ते ************** जब भी होते हो तुम उदास.... +++++++++++++ जब भी होते हो तुम उदास उमड़ आता है मेरा प्रेम व्याकुल होकर...
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Vinod Singhi
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