vinod's feels and words
Sunday, 8 October 2017
शरद पूर्णिमा
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1) हृदय अतल गहराईयों से निकला चाँद तरल हो गया दो नयनों से दो दो चाँद बन बह गया पुतलियों की अँधेरी निशा को चांदनी दे गया.... 2) पूर...
Tuesday, 27 September 2016
अवतार : शब्द का या अर्थ का
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अवतार : शब्द का या अर्थ का (अवतार सीरीज-२) + + + + + + हास परिहास उपहास अट्टाहास, हास के अवतार, किन्तु उपसर्गों ने बदल दिए है ...
Monday, 26 September 2016
प्राक्कथन अवतार सीरीज का : विजया
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प्राक्कथन अवतार सीरीज का ★★★★★★★★★ जब यहाँ सब अपने हैं तो साफ साफ बता देने में क्या संकोच. ये 'सरजी' याने हमारे 'साहेब' हैं...
सखी वो क्यों लेगा अवतार.. : विजया
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सखी वो क्यों लेगा अवतार.. (अवतार सीरीज- १) + + + + + + + धर्म ध्वजायें गगन चूम रही संतों की नित धूम मच रही धर्ममय भया सकल संसार सखी वो क्यो...
राजस्थानी दूहा : विजया
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+ + + + + + + जस अपजस रे खेल में जीवण हुयो बदीत, खाली हाथ चिता चढ्या नहीं हार नहीं जीत. होळा चालो साजणा ह'र चालो पंथ बुहार, जे गड ज्यास...
आलीजा जीव जळावो सा.... : विजया
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+ + + + + + + म्हारे जीवड़े म्हांली पीड़ सजनसा निजर घुमाओ सा, म्हारे हिये उठै हब्बीड़ भंवरसा ध्यान दिरावो सा ।। स्थायी ।। जब थे देखो मूळक ने स...
धुंध का आभास है....: विजया
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+ + + + + + + धुंध का आभास है और दृष्टि का प्रयास है देख पायें यदि उसे जो घटता अनायास है. कार्य कारण के सम्बन्ध क्या हो जाते सदैव है मिलना ...
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