vinod's feels and words
Sunday, 31 May 2015
खोलsने आँख्यां चाल्sग्या... (राजस्थानी)
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खोलsने आँख्यां चाल्sग्या... (राजस्थानी) (हिंदी भावानुवाद सहित.) # # # # औकात-बिसात री बकबाद कर मूरत्यां घणी ढाळsली, कूड़ो जमारो जीयsने...
उन्माद : विजया
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उन्माद + + + + प्रणयी लहर ! एक उन्माद है उत्थान तुम्हारा और शांत हो जाना है चातुर्य कुटिलता या सामर्थ्यहीनता, ना जाने बहा ले गयी हो त...
शून्य : नीरा
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शून्य : नीरा + + + शुन्य से प्रारंभ हर कथा शून्य पर होता हर कथान्त शून्य में ही तो तका करती हर सोच परे कहाँ शून्य से कोई निर्माण...
महारास (2) : विजया
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महारास (2) + + + + महारास, श्रृष्टि के कण कण में महामिलन पुरुष और प्रकृति का मेघ तड़ित और पवन बावरी हो कर एकजुट कर देते हैं विचलित ध...
महारास- (1) : विजया
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महारास- (1) ++++++ होना होता घटित यदि मौन महारास केवल मात्र राधा-कृष्ण युगल में तो क्यों कर करते चीर हरण कन्हैय्या समस्त गोपियों के...
अंगीकार......: विजया
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अंगीकार...... + + + स्वीकारा होगा तुम को किसी ने तथाकथित यथावत मैं ने तो किया है अंगीकार तुम को, पृथक रख कर देखते रहते हैं वो तुझ को करते...
Friday, 3 April 2015
वशीकरण
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वशीकरण **************** ('पजेसिवनेस' को, खासकर, चाहत और प्यार का एक अभिन्न अंग माना जाता है..कितने ही 'बुध्दिजीवीय' विमर्श...
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