vinod's feels and words
Tuesday, 12 August 2014
एक ही प्याले में सुरा पी कर
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एक ही प्याले में सुरा पी कर # # # मादक महक मेहंदी की कर गयी थी बेसुध, लहरा रही थी अलकें कन्धों पर या थी घटायें सा...
हमारी नज़्म...
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हमारी नज़्म # # # # # देख लो इस ट्रे में बस चाय की एक प्याली है, यही तो कहा था तुम ने, सुबह जब मैं सो रही हूँगी तुम सिर्फ एक प...
Monday, 11 August 2014
अर्हता : धम्मपद से --- (नायेदाजी)
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अर्हता धम्मपद से # # # # # मन मस्तिष्क हो शांत सत्य सकारात्मक शुद्ध . वचन हो सत्य सकारात्मक शुद्ध . क्रिया...
पाप: धम्मपद से--(नायेदाजी)
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पाप: धम्मपद से # # # # पापी को होता प्रतीत सब कुछ अनुकूल एवं अतिउत्तम ............ जब पर्यंत ना होता पाप परिपक्व ...
मूर्ख:धम्मपद से---(नायेदाजी)
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मूर्ख:धम्मपद से # # # # जब हो ज्ञान निज ज्ञान का और संज्ञान निज अज्ञान का तो होता है पूर्ण ज्ञानी. हो जिसे ज्ञ...
जागरूकता:धम्मपद से -- (नायेदाजी)
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जागरूकता:धम्मपद से # # # # होना है तुझे जागरूक असावधान मानवों में…………… रहना है तुझे सजग सुप्त मानवों में......
भिक्खु (साधु) : धम्मपद से--(नायेदाजी)
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भिक्खु -साधु : धम्मपद से # # # # लता त्यागती शुष्क पुष्पों को, रहित हो आसक्ति एवं स्वामित्व भावों से. त्यागो त...
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