Monday, 7 September 2020

ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से,,,,: विजया


ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से 

इसलिए नहीं कि 

तुम ने कभी कुछ ग़लत किया 

इसलिए कि 

तुम मुझे सच में एहसास देते हो 

अपने प्यार का...


ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से 

इसलिए कि

तुम सुनते हो मेरी हर  बात को 

इसलिए कि

देते हो तवज्जो मेरी हरेक जुंबिश को...


ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से 

इसलिए कि 

रखते हो ख़याल 

मेरे ऊबड़ खाबड़ मिजाज का 

जब जब होती हूँ मैं किसी कठिन दौर में

और जब जब मैं चाहती हूँ 

बतियाना तुम से 

दिल खोलकर...


ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से 

इसलिए कि 

थाम लेते हो मुझे तुम 

जब जब होती है मुझे चाहना 

थामे जाने की...


ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से 

क्योंकि 

मैं ख़फ़ा हुआ करती हूँ ख़ुद से ही 

तुम्हें मुझ से शिद्दत से 

प्यार करने देने के लिए 

तुम्हें ख़ुद में समा लेने का 

मौक़ा देने के लिए...


ख़फ़ा होती हूँ मैं तुम से 

क्योंकि 

नफ़रत है मुझे कुछ भी खो देने से 

क्योंकि 

हासिल है मुझे इतने गहरे एहसास तुम से

क्योंकि डर है मुझे 

कहीं अपने अख़्तियार को खो ना दूँ ...


ख़फ़ा होती मैं हूँ तुम से 

इसलिए कि 

तुम कर देते हो 

मेरे लिये नामुमकिन 

कि हो सकूँ मैं 

ख़फ़ा तुम से कोई भी वजह से...

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