Friday, 3 April 2015

अनुकूल-प्रतिकूल : विजया

अनुकूल-प्रतिकूल 
+ + + + + 
मुक्त पंछी 

भावों से अनुकूल 
बंदी पंछी 
भावों से प्रतिकूल....

गाये जा रहा है 
मुक्त पंछी 
आज़ाद तराने 
होकर सवार 
पवन के उड़न खटोले पर 
नहाता हुआ 
सूरज की किरणों में
चहकता हुआ 
सारा आकाश है मेरा.....

बंदी पक्षी 
पिंजरे की सलाखों के पीछे 
कटी पंखों के साथ 
दुस्वप्नों से ग्रसित
गाता है किन्तु 
रुंधे गले से 
गीत आज़ादी के
बिलखता हुआ 
काश ! होता 
सारा आकाश मेरा....

मुक्त पंछी 
भावों सेअनुकूल 
बंदी पंछी 
भावों से प्रतिकूल...

No comments:

Post a Comment