Tuesday, 6 January 2015

जीवन है एक अवसर

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बरस रहे
हम पर निरंतर
परिभाषाओं के पत्थर,
घायल है हर सत्य
ना जाने क्यूँ
इस जीवन-पथ पर,...
बहने लगा हिमालय तो
कह दिया है उसको गंगा
विश्वास नाम दे
तुष्ट हो गए
ले कौन प्रश्न से पंगा,
किसी और का
थका सा चिंतन
समाधान है क्यों कर...
घटनाओं से
निपजे निर्वचन
अंतिम सत्य नहीं है
घटित विगत में
आज सार्थक
सारे कृत्य नहीं है,
कुंठाओं का शब्द परिचय
बना ज्ञान है क्यों कर ...
देखें इस जीवंत जगत को
कहते जिसको नश्वर
औरों को महिमा मंडित कर
पूजे क्यों कह ईश्वर
निज को जाने
दीप स्वयं बन
जीवन है
एक अवसर .....

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